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Budget 2019: FM Nirmala Sitharaman keeping budget documents in four fold red cloth instead of a briefcase
(पढ़ें और देखें पीटीबी न्यूज़ पर)
PTB Big Breaking न्यूज़ नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज सुबह 11 बजे लोकसभा में देश का बजट पेश करना शुरू किया / साल 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान बजट की परंपरा में दो बदलाव किए थे / इस बार भी मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश होने से पहले दो बड़े बदलाव किए हैं / इस बार ‘बजट’ शब्द में बदलाव करके इसे ‘बही खाता’ की संज्ञा दी गई है / वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में ‘बजट ब्रीफकेस’ की जगह आज लाल रंग की एक पोटली दिखी / साल 1999 से अबतक एनडीए की सरकार के दौरान बजट की पांच परंपराएं बदली गई हैं /
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बता दें कि सुबह से ही सबकी नज़रें वित्त मंत्री के ब्रीफकेस पर टिकीं थीं, लेकिन जब वित्त मंत्री सीतारमण वित्त मंत्रालय से अपनी पूरी टीम के साथ निकलीं तो उनके हाथ में ब्रीफकेस नहीं बल्की लाल रंग की एक पोटली थी, जिसपर अशोक स्तंभ का चिह्न लगा हुआ था, जबकि हमेशा से बजट वाले दिन वित्त मंत्री अपने मंत्रालय से ब्रीफ केस लेकर ही निकलते थे /
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इतना ही नहीं इस बार ‘बजट’ को ‘बही खाता’ कहा जा रहा है. मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यन ने कहा है, ‘’यही भारतीय परंपरा है / यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है / यह एक बजट नहीं है, लेकिन एक ‘बही खाता’ है /
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साल 1733 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री रॉबर्ट वॉलपोल ‘बजट’ पर लेदर बैग के साथ संसद आए थे / चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता है, इसीलिए इस परंपरा को बजट कहा जाने लगा / बजट ब्रीफकेस का आकार तो लगभग एक जैसा ही रहा, लेकिन रंग में कई बार बदलाव आया. अंग्रेजों ने इस परंपरा को भारत में भी बढ़ाया जो पिछले अंतरिम बजट तक जारी रहा /
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साल 2000 तक केंद्रीय बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था / ये परंपरा अंग्रेजों के समय से चली आ रही थी, लेकिन साल 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सुबह 11 बजे बजट पेश कर नई परंपरा शुरू की /
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पहले बजट फरवरी के आखिरी वर्किंग डे के दिन पेश होता था, लेकिन मोदी सरकार अब बजट को फरवरी के पहले वर्किंग डे के दिन पेश करती हैं / साल 2016 तक केंद्रीय बजट से कुछ दिन पहले रेल बजट पेश किया जाता था. साल 2017 में रेल बजट को केंद्रीय बजट के साथ ही पेश किया गया / ऐसा होने से पिछली 92 साल की पुरानी परंपरा बदल गई और रेल बजट और आम बजट एक साथ पेश होने लगा /
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