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पंजाब, IG के नाम पर रिश्वत मामले में घिरे पंजाब पुलिस के अधिकारीयों को लेकर महंत का सनसनीखेज खुलासा,

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PTB Big न्यूज़ फरीदकोट : पंजाब के फरीदकोट के 20 लाख रिश्वत वसूलने के मामले में उस समय नया मोड़ आ गया। जब यह बात सामने आई की रिश्वत फरीदकोट के आईजी प्रदीप कुमार यादव के नाम पर ही नहीं, बल्कि उनकी सहमति व मिलीभगत से ही वसूली गई थी। बात यहीं खत्म नहीं हुई, जब मामले में डीआईजी फिरोजपुर की जांच रिपोर्ट के बाद फरीदकोट के तत्कालीन एसपी, डीएसपी व एसआई सहित दो निजी लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ तो शिकायतकर्ता को 20 लाख की जगह 40 लाख वापस देकर समझौता करने की भी कोशिश की गई थी।

वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लेकिन यह मामला सिरे नहीं चढ़ सका। यह भी दावा किया जा रहा है कि समझौते के लिए दिए जाने वाले 40 लाख में से 20 लाख आईजी प्रदीप कुमार यादव देने को तैयार थे, जबकि 10 लाख एसपी गगनेश कुमार व 5 लाख डीएसपी सुशील कुमार को देने थे। यह सारे खुलासे रिश्वत प्रकरण में नामजद गोशाला बीड़ सिखांवाला के प्रमुख महंत मलकीत दास ने बीते दिन सीजेएम की अदालत में दर्ज करवाए बयान में किए हैं।

यहां के गांव कोटसुखिया के साढ़े तीन साल पुराने बाबा दयाल दास हत्याकांड में क्लीन चिट हासिल करने वाले मुख्य आरोपी गांव कपूरे (मोगा) के जरनैल दास को दोबारा केस में नामजद करने के लिए केस की जांच कर रहे फरीदकोट के एसपी गगनेश कुमार की अगुवाई वाली एसआईटी ने शिकायतकर्ता बाबा गगन दास से तत्कालीन आईजी फरीदकोट प्रदीप कुमार यादव के नाम पर 50 लाख की रिश्वत मांगी और 35 लाख में सौदा कर 20 लाख वसूली की।

रिश्वत के बावजूद जब कार्रवाई नहीं हुई तो शिकायतकर्ता ने पैसे मांगने शुरू कर दिए और पैसे वापस न मिलने पर गगन दास ने डीजीपी पंजाब से शिकायत कर दी। शिकायत पर पड़ताल के बाद एसपी गगनेश कुमार, डीएसपी सुशील कुमार व आईजी दफ्तर में तैनात रहे एसआई खेमचंद पराशर के अलावा दो निजी लोगों महंत मलकीत दास व जसविंदर सिंह जस्सी ठेकेदार पर केस दर्ज हुआ और जांच विजिलेंस के पास पहुंच गई। केस में नामजद होने के बाद महंत मलकीत दास ने जिला अदालत में याचिका देकर केस में वादा माफ गवाह बनने के इच्छा जताई थी

और उसके अदालत में आत्मसमर्पण करने के बाद उसकी याचिका पर जिला अदालत ने उसे क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट की अदालत में बयान दर्ज करवाने की इजाजत दे दी। इसके तहत आरोपी मलकीत दास को फरीदकोट जेल से लाकर सीजेएम की अदालत में उनका दर्ज करवाया गया। सूत्रों के अनुसार बयान में मलकीत दास ने स्पष्ट रूप से दावा किया है कि 20 लाख की रिश्वत का लेनदेन उनकी गोशाला में हुआ और पुलिस अधिकारियों ने यह पैसा वसूलने से पहले आईजी की उनसे फोन पर बात भी करवाई थी।

अदालत में दर्ज करवाए बयान में मलकीत दास के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने उसे इस बात के लिए धमकाया गया था कि वह बाबा गगन दास के साथ उनकी पैसों की बात फिक्स करवाए तथा 35 लाख रुपये में सौदा तय होने के पश्चात डीएसपी सुशील कुमार ने आईजी प्रदीप कुमार यादव से फोन पर बात भी करवाई गई थी। आरोपी एसपी, डीएसपी व एसआई द्वारा 20 लाख रुपये लेने के पश्चात आईजी ने मलकीत दास को अपने पास बुलाया था और तय सौदे में से बाकी के 15 लाख रुपये लेकर,

गगन दास से लेकर और बैंक से नोट बदलवा कर उन तक पहुंचाने को भी कहा था। मलकीत दास ने अपने बयान में यह भी दावा किया है कि केस दर्ज होने के पश्चात सभी अधिकारियों ने मिल कर चालीस लाख रुपये में राजीनामा करने का प्रयास भी किया था। जिसमें 20 लाख रुपये आईजी, 10 लाख रुपये एसपी तथा 5 लाख रुपये डीएसपी को देने थे जबकि बाकी के पांच लाख उन्हें (मलकीत दास) को देने को कहा गया था और यह कहा गया कि वे बाद में उसे लौटा देंगे। परंतु पैसे एकत्रित न होने के कारण बात ठप हो गई।

रिश्वत प्रकरण में विजिलेंस के पास रिमांड पर चल रहे आईजी दफ्तर में तैनात रहे सब इंस्पेक्टर खेमचंद पराशर को सीजेएम की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। विजिलेंस ने आरोपी को दो बार अदालत में पेश कर क्रमवार 1 दिन 2 दिन के रिमांड पर लिया था और सोमवार को रिमांड खत्म होने से उसे अदालत में पेश किया।

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