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जालंधर निगम चुनाव से पहले “AAP” में पड़ी फुट, अंदरूनी कलह की वजह से “आप” का मेयर सपना क्या होगा पूरा,

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PTB News राजनीति पंच जालंधर (एडिटर-इन-चीफ) राणा हिमाचल : पंजाब में नगर निगम चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, इन सबके बीच इन दिनों जालंधर की राजनीति व इससे जुड़े नेता लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं, जिनमें सबसे ऊपर नाम आम आदमीं पार्टी का है। दरअसल 2022 में भी विधानसभा चुनावों के समय इसी पार्टी ने उस समय भी ज्यादा सुर्खियां तब बटोरी थी जब रातों रात आप पार्टी ने अपने पुराने वर्करों को छोड़कर पैराशूट नेताओं को चुनाव मैदान में उतार दिया था।

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उस समय सबसे बड़ी बात यह रही की AAP पार्टी की उस समय हवा ज्यादा थी, जिसकी वजह से पार्टी ने भारी बहुमत हासिल करके चुनाव भी जीत लिया, लेकिन दो सीटों जालंधर कैंट व जालंधर नार्थ से लेकरशन हार गई, लेकिन अब स्थिति कुछ हो चुकी है। दरअसल निगम चुनावों का बिगुल बजते ही पार्टी के 2022 से लेकर अभी तक जुड़े दलबदलुओं व नए पार्टी वर्करों को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे, जिनमें से ज्यादातर पार्षद पद की टिकट के चह्वाण थे तो कुछ चेयरमैन पद, लेकिन इनमें से ज्यादातर की उम्मीदों पर तब पानी फिर गया जब पार्टी इनमें से ज्यादातर को किनारा करके अन्य पार्टियों से आये पूर्व मेयर से लेकर पूर्व पार्षदों को चुनाव मैदान में उतार दिया।

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जिसका नतीजा यह हुआ की बीती रात यानि बुधवार को AAP पार्टी के ज्यादातर नेता जोकि मौजूदा विधायक से लेकर कई सीनियर नेताओं के चहेते थे, ने पार्टी को रातों रात अलविदा कहते हुए। जहां किसी ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली तो किसी ने BJP, इनमें से कुछ ने तो आज़ाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का सोच लिया। आखिर समझते हैं इसके पीछे की कहानी, दरअसल सेंटल हल्के में सबसे ज्यादा विरोधी आप पार्टी के नेता ही बीते एक दिन में हो गए हैं। इन सभी को बीते 2022 से लगातार अपने साथ सत्ता का लालच देकर पार्टी के सीनियर नेताओं ने इस लिए जोड़ रखा था

 ताकि पार्टी के सीनियर नेताओं के सामने अपनी छबि बनी रहे, जिसकी वजह से यह बड़े नेता खुद भी नहीं चाहते थे की निगम चुनाव जल्दी हों, क्योंकि अगर ऐसा होता तो इन सीनियर नेताओं जिन्होंने एक ही वार्ड में अपने साथ कई नए लोगों को सत्ता का लालच दे रखा था के सामने टिकट नहीं मिलने पर शर्मिंदा होना पड़ता। वहीं दूसरी और पूर्व मेयर राजा सब को भी इन नेताओं ने गुमराह कर रखा था, क्योंकि वह खुद भी नहीं चाहते थे कि पूर्व मेयर AAP में शामिल हों, क्योंकि अगर ऐसा होता तो उनके रिश्तेदार को AAP पार्टी टिकट नहीं देती, ओर हुआ भी कुछ ऐसा ही, जोकि भगवान को भी मंजूर नहीं था,

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क्योंकि इस रिश्तेदार ने पार्टी की नीतियों से ऊपर उठकर पहले तो बिना टिकट मिले ही अपना पार्टी ऑफिस खोल डाला, ओर पंडाल में पार्षद पद की दावेदारी के साथ-साथ मेयर बनने की दावेदारी कर डाली, जिससे चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक पार्टी की बहुत किरकिरी हुई ही साथ ही चंडीगढ़ दरबार में उक्त रिश्तेदार को टिकट देने से साफ मना कर दिया। आपको यह बात सुनकर और भी हैरानी होगी की, जिस रिश्तेदार की अपनी ही टिकट कन्फर्म नहीं थी, लेकिन 2022 से यह रिश्तेदार ही सेंट्रल के कई पुराने व

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नए जुड़े वर्करों को टिकट देने के बड़े-बड़े वादे करता रहा। अब ऐसे में सीनियर नेता अपनी छवि रिश्तेदार के सामने तो नहीं बचा सके, लेकिन कई नेताओं को निराश करते हुए, चंद नेताओं के सामने ही अपनी साक बचा सके हैं, ऐसे में पूर्व मेयर राजा ने जो मास्टर कार्ड खेला उसकी भनक किसी को नहीं लगी ओर सभी पार्टी के नेता और वर्कर हैरान रह गये। यही नहीं एक नेता ने तो ऐसे नेताओं की वजह से अपना सिर तक फड़वाया, लेकिन उसको भी यह सीनियर नेता टिकट नहीं दिलवा पाए और

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अब यही नेता ने आजाद चुनाव लड़ने का बिगुल बजा दिया है। लेकिन आपको यह भी बता दें की रातों रात हुई AAP पार्टी में नेताओं की अदला बदली से जहां सीनियर नेता की छवि सेंट्रल में धूमिल हुई, वहीं रिश्तेदार को टिकट नहीं दिला पाने से जनता के बीच AAP का ग्राफ भी कम हो गया। अब देखना सिर्फ यह होगा कि आने वाले समय में जिला जालंधर में होने वाले नगर निगम चुनावों में कौन सा सीनियर नेता अपनी छवि ज्यादा सीटें हासिल कर बचा पाटा है या फिर AAP पार्टी का सपना “अपना मेयर” होता है पूरा या अधूरा यह तो 21 दिसंबर के बाद ही पता चलेगा।

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