PTB Business न्यूज़ नई दिल्ली : रिलायंस होम फाइनेंस के मालिक अनिल अंबानी पर सेबी ने प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया है। सेबी के इस एक्शन की अब अनिल अंबानी समीक्षा करने वाले है। उनकी कंपनी के एक प्रवक्ता ने रविवार को बताया है कि बाजार नियामक सेबी की इस कारवाई पर वे जल्द ही कानूनी सलाह के आधार पर उचित कदम उठा सकते हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने अनिल अंबानी को पूंजी बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
.प्रवक्ता ने बयान में कहा कि रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड यानी आरएचएफएल से जुड़े एक मामले में सेबी के 11 अगस्त, 2022 के अंतरिम आदेश का पालन करने के लिए अंबानी ने रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और रिलायंस पावर लिमिटेड के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था। बयान के अनुसार, वह “पिछले ढाई वर्षों से उक्त अंतरिम आदेश (11 फरवरी, 2022 के) का अनुपालन कर रहे हैं। सेबी ने 22 अगस्त को दिए आदेश में अनिल अंबानी और 24 अन्य को धन की हेराफेरी के आरोप में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।
..
प्रवक्ता ने कहा, “अनिल अंबानी उक्त मामले में सेबी द्वारा पारित 22 अगस्त, 2024 के अंतिम आदेश की समीक्षा कर रहे हैं और कानूनी सलाह के अनुसार अगला कदम उठाएंगे।” सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था और कहा था कि उन्होंने रिलायंस होम फाइनेंस से धन की हेराफेरी करने की योजना बनाई थी। रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस समूह की एक सूचीबद्ध अनुषंगी कंपनी है जिसके वे चेयरमैन हैं। प्रतिबंध के तहत अनिल और अन्य 24 इकाइयां प्रतिभूति बाजार में लेन-देन नहीं कर पाएंगे।
.उन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या अन्य प्रकार से लेनदेन करने पर प्रतिबंध रहेगा। मुंबई की सूचीबद्ध रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने एक अलग बयान में कहा कि वह “सेबी के समक्ष कार्यवाही में नोटिस प्राप्तकर्ता या पक्ष नहीं थी, जिसमें आदेश पारित किया गया है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ आदेश में कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। बयान के अनुसार, “अनिल अंबानी ने उसी कार्यवाही में सेबी द्वारा पारित 11 फरवरी, 2022 के अंतरिम आदेश के अनुसार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था।
. .इसलिए, सेबी द्वारा पारित 22 अगस्त, 2024 के आदेश का रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के व्यवसाय और मामलों पर कोई असर नहीं पड़ता है। अनिल अंबानी के समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनी रिलायंस पावर ने भी इसी तरह का बयान जारी कर कहा कि अंबानी ने 2022 में इस्तीफा दे दिया है और सेबी के नवीनतम आदेश का उस पर कोई असर नहीं होगा। सेबी ने 22 अगस्त के आदेश में कहा था कि एक “धोखाधड़ी” योजना के तहत आवास और निर्माण के लिए ऋण प्रदान करने वाली रिलायंस होम फाइनेंस से धन की “हेराफेरी” की गई, जिसे ऋण-अयोग्य उधारकर्ताओं को ऋण के रूप में संरचित किया गया।
.नियामक ने कहा था कि इनमें से अधिकांश उधारकर्ता “प्रवर्तकों” से जुड़े थे। अनिल अंबानी और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने जुलाई, 2006 में अपने पिता धीरूभाई अंबानी द्वारा बनाई गई रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को विभाजित कर दिया था। अनिल अंबानी के रिलायंस समूह में वित्तीय सेवाएं, बुनियादी ढांचा और दूरसंचार शामिल थे, जबकि बड़े भाई को पारंपरिक तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल्स का कारोबार मिला। पिछले कुछ वर्षों में, अनिल अंबानी ने समूह की तीन सबसे बड़ी कंपनियों को देखा है, जिनमें रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं, जो बकाया कर्ज के कारण दिवालिया हो गई हैं।
.