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रमज़ान के महीने में इसलिए रखता है हर मुसलमान रोजा,

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इस्लाम में कामयाब जीवन जीने के लिए बताई गई है महत्वपूर्ण बात, (पढ़ें और देखें पीटीबी न्यूज़ पर)

PTB न्यूज़ “धार्मिक” : रमज़ान, मुस्लिम समाज के लिए एक विशेष और पवित्र महीना है / इस महीने में क़ुरान उतरना शुरू हुआ था / रमज़ान संयम और इबादत का महीना बताया गया है / इस महीने में प्रत्येक मुस्लिम ‘रोज़ा’ यानी उपवास रखता है / रमज़ान आध्यात्मिक सक्रियता का एक महीना है, जिसका प्रथम उद्देश्य व्यक्ति की आध्यात्मिकता को जगाना है / रोज़े का मुख्य उद्देश्य भौतिक चीज़ों पर मनुष्य की निर्भरता को कम करना और अपने आध्यात्मिक संकल्प को मजबूत करना है, ताकि वह पवित्रता के उच्च दायरे में प्रवेश कर सके /

रोजे के दौरान याद रखें ये बाते : —-

अपनी प्रकृति से रोज़ा, धैर्य का एक अधिनियम है / धैर्य और सहनशीलता मनुष्य को ऐसी स्थिति में ले जाती है, जो उसे भगवान के निकटता की भावना का अनुभव करने में सक्षम बनाती है / रोज़ा व्यक्ति के दिल की आध्यात्मिक क्षमता को बढ़ाता है / इस्लाम के अनुसार, मनुष्य को इस दुनिया में परीक्षा के लिए भेजा गया है / ख़ुदा ने हर एक इंसान को स्वतंत्रता दी है ताकि वह अपनी स्वतंत्र इच्छा के साथ ख़ुदा के आदेशों का पालन करने में इस स्वतंत्रता का उपयोग कर सकें /

इसी कारण से रमज़ान के महीने को हज़रत मुहम्मद साहब ने धैर्य का महीना बताया है / इस्लाम में कामयाब जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात धैर्य बताई गई है / जैसे परीक्षा में एक जटिल सवाल का उत्तर ढूंढने के लिए धैर्य चाहिए उसी प्रकार से जीवन के जटिल सवालों के उत्तर के लिए भी व्यक्ति को धैर्य चाहिए / हज़रत मुहम्मद साहब ने कहा था ‘रमजान का महीना सहानुभूति का महीना है /

उपवास एक आदमी को सिखाता है कि बुनियादी मानव आवश्यकताएं क्या हैं / यह उसे बताता है कि भूख क्या है और प्यास क्या है / जिन लोगों को भूख या प्यास महसूस करने का मौका नहीं मिलता है, वे भी इस महीने के दौरान भूख-प्यास को अनुभव करते हैं / कुछ घंटों तक, अमीर भी उसी परिस्थितियों में रहने के लिए बाध्य होते हैं, जिसमें एक गरीब व्यक्ति रहता है / इस प्रकार रमजान एक आस्तिक के कायाकल्प की प्रक्रिया है /

वह रमजान के दौरान रोज़मर्रा सीखे हुए पहलुओं को अपनी रोजाना की जिंदगी में लागू करने के लिए तत्पर हो जाता हैं / एक व्यक्ति जो सच्ची भावना से रोज़ा रखता है वह रमज़ान के बाद अपने जीवन में एक बड़ा परिवर्तन स्वयं देख पाता है, वह जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार हो चूका होता है, उसके दिल में किसी के लिए द्वेष नहीं रहता, वह दूसरों की भूख प्यास का वैसे ही सम्मान करता है, जैसा रोज़े में उसने अहसास किया होता है, वह अपने से यह वादा करता है कि वे समाज में एक ‘नो-प्रॉब्लम’ व्यक्ति बनके रहेगा ना की ‘प्रॉब्लम’ व्यक्ति /

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