PTB Big न्यूज़ चंडीगढ़ : अश्लील वीडियो में फंसे पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और वन मंत्री लाल चंद कटारूचक्क की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वीडियो में दिखने वाले पीड़ित युवक ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर आकर मंत्री कटारूचक्क पर यौन शोषण का आरोप लगाया। इसके साथ ही पीड़ित युवक की लिखित शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब कर ली है। आयोग ने इस मामले की जांच का भी फैसला लिया है। इसके साथ ही आयोग ने पीड़ित युवक को सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने बीते दिनों राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को पंजाब के एक मंत्री के दो वीडियो सौंपे थे। उन्होंने मामले की जांच की मांग की थी। हालांकि खैरा ने मंत्री का नाम सार्वजनिक नहीं किया था लेकिन अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने लालचंद कटारूचक्क का नाम लेते हुए ट्वीट किया था। इधर, राज्यपाल ने दोनों वीडियो चंडीगढ़ के डीजीपी को सौंपे और दो दिन में जांच रिपोर्ट भी मांगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जहां किसी तरह का वीडियो मिलने से इन्कार किया, वहीं कटारूचक्क ने खुद को बेगुनाह बताया और अपने इस्तीफे की खबरों का खंडन किया।
वीडियो में जिस युवक का जिक्र है, उसने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी किया और स्वीकार किया कि वह कटारूचक्क के वीडियो से जुड़ा युवक ही है।
पीड़ित युवक ने वीडियो में विस्तार से बताया कि कटारूचक्क ने किस तरह उससे संबंध बनाए और इस काम के लिए मंत्री उसे बार-बार बुलाते थे। युवक ने कहा कि इन्कार करने पर कटारूचक्क ने उसे जान से मारने की धमकी दी। इस बीच युवक ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को शिकायत भेजी। इस पर आयोग ने शुक्रवार को पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी करके एक्शन टेकन रिपोर्ट मांग ली।
आयोग के निदेशक (मुख्यालय) ने पत्र में लिखा कि जिला गुरदासपुर निवासी युवक ने पंजाब के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री लालचंद कटारूचक्क के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दी है। आयोग ने प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत मामले की जांच/पूछताछ करने का फैसला लिया है। आयोग चाहता है कि याचिकाकर्ता को सुरक्षा प्रदान करें। आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी से इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की और चेताया है कि निर्धारित समय में जवाब नहीं मिलने पर आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत मिले सिविल कोर्ट के अधिकार का उपयोग करते हुए निजी तौर पर पेश होने का समन जारी कर सकता है।