PTB Big न्यूज़ हमीरपुर : हमीरपुर के टौणीदेवी इलाके में उल्टी-दस्त से पीड़ितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। सोमवार दोपहर तक 300 से ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। डेढ़ दर्जन लोग सिविल अस्पताल टौणीदेवी में दाखिल हो चुके हैं। पीड़ितों की संख्या बीती रात तक तकरीबन तीन दर्जन थी। बीमारी का कारण स्पष्ट तौर पर अभी नहीं बताया जा रहा।
. .लेकिन जल शक्ति और स्वास्थ्य विभाग ने संभावित पेयजल स्रोतों के पानी के सैंपल लेकर उन्हें जांच को भेजा है। सोमवार की सुबह ही सिविल हॉस्पिटल टौणीदेवी के बाहर मरीजों की लंबी लाइन लग चुकी थी। जिस बड़े स्तर पर ओपीडी में मरीजों की भीड़ देखने को मिल रही है, उसमें ज्यादातर मरीज उल्टी दस्त की चपेट वाले ही हैं। लोग पेट पकड़कर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
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ज्यादातर मरीज ग्वारडू, लोहाखर, टौणीदेवी, चाहड़, टपरे, बारी, महाड़े, घलोट, सिसवा, भारीं, खंदेहड़ा, लडयोह और झनिकर गांवों से हैं। मरीजों का कहना है कि तीन दिन पहले उन्हें उल्टी दस्त अचानक लग गए। वे घर पर ही इलाज करवा रहे थे, लेकिन जब उन्हें जानकारी मिली कि बड़े स्तर पर यह रोग फैल चुका है, तो आज वे अस्पताल आए हैं। सभी मरीजों ने जल शक्ति विभाग के पेयजल टैंकों पर सवाल उठाए।
. .सोमवार को जल शक्ति विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीमें फील्ड में दिखीं। जल शक्ति और स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्र के अलग अलग हिस्सों से पानी के सैंपल भरे हैं। इनमें कुछ सैंपल पुराने जल स्त्रोतों, खातरियों इत्यादि के भी भरे गए हैं। जल शक्ति विभाग के बारीं सेक्शन के कनिष्ठ अभियंता नितिन भारद्वाज के मुताबिक कुल छह सैंपल बारीं के टैंकों और मंदिर की खातरी के भरे गए हैं। रिपोर्ट आने पर ही असली स्थिति का पता चलेगा।
.आपको बता दें कि, जिला के रंगस इलाके में भी पिछले साल इसी तरह की बीमारी फैली थी। वहां भी गंदा पानी पीने से लोग बीमार हुए थे। तब मरीजों की तादाद डेढ़ हजार के आसपास पहुंच गई थी। जल शक्ति विभाग ने पेयजल टैंकों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया है। क्षेत्र के कई गांवों में पानी पीने के बाद यह लोग बीमारी से ग्रसित हुए हैं।
.सिविल अस्पताल टौणीदेवी में 15 लोगों को भर्ती किया गया है जहां उनका उपचार चल रहा है। अब तक 300 से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि बीमारी कंट्रोल में है और घबराने की बात नहीं है। बीएमओ डा. अवनीत शर्मा का कहना है कि लोगों से बात की गई है। स्थिति पूरी तरह कंट्रोल में है। इसे डायरिया नहीं कहा जा सकता। क्योंकि मरीज कम हैं। कर्मचारियों को गांव में भेजा गया है। जहां लोगों को दवाइयां वितरित की जा रही है।