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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की अपने टैरिफ वॉर की शुरुआत, भारत के किस सेक्टर पर पड़ेगा भारी असर,

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PTB Big न्यूज़ अमेरिका : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने टैरिफ वॉर की शुरुआत सबसे पहले ऑटोमोबाइल सेक्टर से कर दी है। लंबे समय से जिस रेसिप्रोकल टैरिफ को लागू करने की बात हो रही थी, उसे अब 3 अप्रैल से प्रभावी कर दिया गया है। इसके तहत, विदेशों से अमेरिका में आयात की जाने वाली सभी कारों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप के इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान भारत की दो प्रमुख कंपनियों –

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मारुति सुजुकी इंडिया और हुंडई मोटर इंडिया को होने वाला है। ये दोनों कंपनियां भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल निर्यातक हैं। मारुति सुजुकी, जो जापान की सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के स्वामित्व में है, भारत में कई लोकप्रिय कारों का निर्माण कर उन्हें अमेरिकी बाजार में निर्यात करती है। इनमें बलेनो, जिम्नी, ग्रैंड विटारा और ब्रेजा जैसे मॉडल शामिल हैं। हुंडई मोटर इंडिया, जो दक्षिण कोरिया की कंपनी है,

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भारत में बनी ऑरा, वर्ना और अल्काजार जैसी गाड़ियों को अमेरिकी बाजार में एक्सपोर्ट करती है। टोयोटा, होंडा और फॉक्सवैगन भी भारत में कारें बनाकर अमेरिका भेजती हैं। भारत के लिए अमेरिका ऑटोमोबाइल सेक्टर के टॉप-3 निर्यात भागीदारों में शामिल है। ऐसे में यह टैरिफ सीधा भारत के ऑटो एक्सपोर्ट पर असर डालेगा, जिससे कंपनियों की लागत बढ़ेगी और बिक्री पर असर पड़ेगा। ट्रंप ने 26 मार्च को ही संकेत दिया था कि ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर भी यह टैरिफ लागू किया जाएगा।

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इससे भारत के ऑटो कंपोनेंट उद्योग को भारी नुकसान हो सकता है। भारत में ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री का आकार करीब 21.2 अरब डॉलर (1.8 लाख करोड़ रुपये) का है, जिसमें से लगभग एक-तिहाई निर्यात अमेरिका को होता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह टैरिफ 10% तक रहता, तो भारत को लगभग 6 अरब डॉलर (51,420 करोड़ रुपये) का नुकसान होता, लेकिन अब जब 25% टैरिफ लगाया गया है,

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तो अनुमानित नुकसान 31 अरब डॉलर (करीब 2.66 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच सकता है। नए निर्यात बाजारों की तलाश: भारतीय कंपनियों को यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व जैसे बाजारों में अपना निर्यात बढ़ाने की रणनीति अपनानी होगी। अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता: भारत सरकार को टैरिफ में राहत के लिए अमेरिका से बातचीत करनी होगी। घरेलू बाजार को मजबूत करना : सरकार को ऐसी नीतियां बनानी होंगी,

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जिससे भारत में ऑटोमोबाइल की मांग बढ़े और कंपनियों को अमेरिकी बाजार पर अधिक निर्भर न रहना पड़े। डोनाल्ड ट्रंप का यह नया टैरिफ वॉर भारतीय ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। ऐसे में अब भारत को अपनी निर्यात रणनीति में बदलाव लाने और अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत होगी।

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