PTB News “हेल्थ” (एडिटर-इन-चीफ) राणा हिमाचल : भारत सरकार से मान्यता प्राप्त इंटरनेशनल कुदरती इलाज प्रणाली यानि प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy) के साथ पिछले करीब 3 सालों से ब्लड शुगर कैंसर, के अलावा अन्य कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति हमारे रिसर्च सेंटर भदोड़ जिला बरनाला में तंदुरुस्त होकर अपने घर जा चुके हैं। यह शब्द Punjab Naturopathy and Yoga Hospital Bhadaur Punjab के माहिर
.डॉ. गुरमेल सिंह विर्क रिटायर्ड CMO D ने PTB News से उस समय कहे। जब Dr Gurmail Singh Virk ने खुशी व्यक्त करते हुए बताया कि खुशवंत सिंह पुत्र अजीत सिंह निवासी लोहारा जिला मुक्तसर साहिब पिछले 30 सालों से ब्लड खून का कैंसर, लिम्फोसाईटिक, नीकुमिया, खून के सफेद सेलों का कैंसर, हड्डियों की बोनमारों का कैंसर, प्लेटलेट्स, पीले सेल कम होना, लीवर बड़ा और खराब होना, तेजाब गैस, मेहदे में जख्म होने के अलावा हाई ब्लड प्रेशर ने
.भी पीड़ित व्यक्ति खुशवंत सिंह को जकड़ रखा था। इस दौरान अधिक जानकारी देते हुए डॉ. गुरमेल सिंह विर्क ने PTB News को बताया कि पीड़ित खुशवंत सिंह ने अपना इलाज करवाने के लिए पंजाब के कई स्पेशलिस्ट डाक्टरों के साथ संपर्क किया, लेकिन उनका इलाज बुरी तरह से असफल रहा। इस दौरान कई डाक्टरों ने पीड़ित खुशवंत सिंह को साड़ी उम्र दवाइयां खाने, कीमो थैरेपी से लेकर हर महीने खून चढ़वाने की ही सलाह दी।
.इसके बाद पीड़ित खुशवंत सिंह ने अपने परिवार सहित किसी की सलाह पर Punjab Naturopathy and Yoga Hospital Bhadaur Punjab में स्थित डॉ. ओपिंदर सिंह विर्क MBBS, डॉ. शिवांगी विर्क जोकि BNYS नेचुरल पैथी योग के माहिर हैं ने पीड़ित का Naturopathy विधि, जिसमें हवा, मिट्टी पानी, मालिश, एक्यूप्रेशर, रेकी, योगा, चुंबक आदि के साथ सफल इलाज किया, जिसके बाद पीड़ित खुशवंत सिंह दिनों-दिन ठीक होना शुरू हो गया।
.आपको यह भी बता दें कि मानव शरीर में खुद रोगों से लडऩे में सक्षम होती है, जिसका ज्ञान होना बहुत जरूरी है। जिसमें नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा उपचार के लिए पंच तत्वों आकाश, जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर चिकित्सा सम्पन्न की जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पंच महाभूतत्वों (मिट्टी, पानी, धूप, हवा व आकाश) पर आधारित होती है।
इसमें डॉक्टर से सलाह लेकर घर पर ही इलाज किया जाना संभव है। इसके अंतर्गत जोड़ों का दर्द, ऑर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस, सियाटिका, पाइल्स, कब्ज, गैस, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, फैटी लीवर, कोलाइटिस, माइग्रेन, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, श्वांस रोग, दमा, ब्रॉनकाइटिस, सीओपीडी (क्रॉनिक, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) व त्वचा संबंधी रोगों का सफलतम उपचार होता है।
.इसमें मड बाथ, मिट्टी की पट्टी, वेट शीट पैक (गीली चादर लपेट), हॉट आर्म एंड फुट बाथ (गर्म पाद स्नान), सन बाथ (सूर्य स्नान), कटि स्नान, स्टीम बाथ, एनीमा, स्पाइन स्प्रे बाथ, मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग के अलावा उपवास, दूध कल्प, फलाहार, रसाहार, जलाहार द्वारा भी इलाज किया जाता है। इस प्राकृतिक चिकित्सक यानि Naturopathy के बारे में डॉ. गुरमेल सिंह विर्क ने खा कि जुकाम, खांसी,
.उल्टी, दस्त जैसे रोगों में तीन दिन तक तरल पदार्थ व एनीमा द्वारा इलाज भी संभव है। यही नहीं दस्त होने पर मिट्टी रात भर पानी में भिगोकर सवेरे मरीज की नाभि से चार अंगुल की दूरी पर चारों ओर एक-डेढ़ इंच मोटा लेप लगाकर आधे घंटे बाद उसे हटा दें। वहीं घुटने के दर्द में मिट्टी को गर्म पानी में मिलाकर लेप लगाएं। जल चिकित्सा में दर्द व सूजन वाली जगहों पर तौलिये को गर्म पानी में भिगोकर रोग ग्रस्त जगह पर रखने से आराम मिलता है।
.डिप्रेशन या रीढ़ संबंधी रोगों में ठंडा या गर्म रीढ़ स्नान दिया जाता है। मधुमेह के रोगी को हिप बाथ दी जाती है। बुखार में ऊनी-सूती चादर की लपेट से फायदा मिलता है। वहीं विटामिन-डी के लिए सूर्य किरण चिकित्सा अपनाएं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार रंगीन कांच की शीशी में 21 दिन तक सूर्य तप्त जल व तेल का सेवन भी कई रोगों में फायदेमंद है। इसके अलावा इसमें आहार चिकित्सा भी बहुत जरूरी होती है।