PTB News

Latest news
जालंधर जिले में फिर होगा ब्लैकआउट, कितने बजे जाएगी बिजली, जिलाधीश ने समस्या आने पर कंट्रोल रूम नंबर ... PCM SD सीनियर सेकेंडरी कॉलेजिएट स्कूल में पवित्र हवन समारोह के साथ नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआ... इनोसेंट हार्ट्स स्कूल नूरपुर रोड शाखा के कॉमर्स छात्रों के लिए औद्योगिक भ्रमण का आयोजन, जालंधर, भ्रष्टाचार के मामले में विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार किए विधायक रमन अरोड़ा के रिमांड के बाद महिल... नितिन कोहली के AAP में शामिल होने के बाद BJP नेता मनोरंजन कालिया ने किया बड़ा खुलासा, लुधियाना पश्चिम उप-चुनाव : AAP उम्मीदवार ने आज दाखिल किया नामांकन, आप ने निकला विशाल रोड शो, जालंधर, विधायक रमन अरोड़ा के समधी राजू मदान क्या डकार चूका है पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर शहर के नामी... विजलेंस की गिरफ्त में चल रहे रमन अरोड़ा के रिश्तेदारों पर भी गिरी जांच की आंच, रमन अरोड़ा को साथ लेकर... पंजाब सरकार की सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के सपनों को उड़ान, छात्राओं ने DC और CP के साथ एक दिन व... पंजाब, वाह! आय 1.08 करोड़ लेकिन खर्च कर डाले 1.39 करोड़, बर्खास्त महिला कॉन्स्टेबल फिर विवादों में घ...
Translate

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, SC/ST आरक्षण को लेकर सुनाया बड़ा फैसला,

supreme-court-approves-quota-within-quota-overturns-2004-ruling-big-news

.

.

PTB Big न्यूज़ नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने एससी-एसटी में कोटे के अंदर कोटे को मंजूरी दे दी है। यानी एससी-एसटी कोटे में उप-वर्गीकरण (सब कैटेगरी) किया जा सकता है।

.

.

सात जजों की संविधान पीठ ने ईवी चिन्नैया के 2004 के फैसले को पलट दिया, जिसमें अनुसूचित जातियों के भीतर कुछ उप-जातियों को विशेष लाभ देने से इनकार किया गया था। साल 2004 में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्य एक समान समूह हैं, जिन्हें आगे किसी उप-समूह या वर्गीकरण में बांटा नहीं जा सकता।

.

.

ईवी चिन्नैया के फैसले में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत जारी राष्ट्रपति अधिसूचना में निर्दिष्ट अनुसूचित जातियों को फिर से वर्गीकृत करना विपरीत भेदभाव के समान होगा और यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा। साल 2020 में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि ईवी चिन्नैया फैसले पर एक बड़ी पीठ द्वारा दोबारा विचार किए जाने की जरूरत है।

.

.

आरक्षण का लाभ सबसे जरूरतमंद और गरीब लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। सुप्रीम कोर्ट, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार की ओर से दायर अपील पर विचार कर रहा था, जिसमें 2006 के पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम को रद्द कर दिया गया था, जिसके तहत अनुसूचित जाति कोटे के तहत वाल्मीकि और मजहबी सिख जातियों को ‘प्रथम वरीयता’ दी गई थी।

Latest News