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Paris Paralympics 2024 : हिमाचल के बेटे ने भारत का नाम किया रोशन, दिलाया सिल्वर मेडल,

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PTB Big Political न्यूज़ पेरिस : भारत के पारा-एथलीट निषाद कुमार को चुनौतियां अपने खेल में और बेहतर करने हौसला देती हैं। निषाद इस साल अक्टूबर में अपना 25वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं। लेकिन, उससे पहले पेरिस पैरालंपिक में जो उन्होंने अपने बुलंद हौसले से हासिल किया है, वो कमाल, बेमिसाल और सबसे जुदा है। ऐसा इसलिए क्योंकि वो उस कामयाबी को हासिल करने वाले वो देश के सबसे युवा पारा एथलीट है।

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ये सब हुआ है उस दर्दनाक घटना के 19 साल बाद, जब घास काटने वाली मशीन में फंसकर निषाद का हाथ कट गया था। 1999 में जन्में निषाद कुमार जब 6 साल के थे, तभी घास काटने वाली मशीन के साथ हुए एक हादसे में उन्हें अपना दायां हाथ गंवाना पड़ा था। लेकिन, निषाद ने उस हादसे को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। खेलों के प्रति उनका लगाव अपनी मां की वजह से हुआ। निषाद की मां स्टेट लेवल पर वॉलीबॉल और डिस्कस थ्रो की खिलाड़ी रही हैं।

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ऐसे में मां से प्रेरणा लेकर ही उन्होंने भी खिलाड़ी बनने और भारत का नाम रोशन करने की ठानी। बस फिर क्या था, शुरू हो गया किसान पिता के बेटे का खेलों में आगे बढ़ने का सफर। 2009 से शुरू इस सिलसिले को पहला बड़ा ब्रेक इंटरनेशनल मंच पर साल 2019 में मिला, जब उन्होंने वर्ल्ड पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के T47 हाई जंप कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। यहां जीते ब्रॉन्ज मेडल के दम पर उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई किया,

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जहां उन्होंने एशियन रिकॉर्ड के साथ सिल्वर मेडल पर कब्जा किया। इसके बाद 2022 में चीन के हांगझू में हुए एशियन पारा गेम्स में निषाद कुमार ने गोल्ड मेडल जीता। टोक्यो पैरालंपिक में 2.06 मीटर की जंप लगाने वाले निषाद ने पेरिस पैरालंपिक में 2.04 मीटर का ही जंप लगाया, इसके बावजूद वो सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे। इसी के साथ वो बैक टू बैक पैरालंपिक में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पारा-एथलीट बन गए हैं।

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निषाद, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के बदुआं गांव के रहने वाले हैं। उनकी पढ़ाई चंडीगढ़ के सेक्टर 10 के DAV कॉलेज से हुई। इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिंटी से आगे की पढ़ाई की। अपने सपनों को पंख लगाने में निषाद कुमार को ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट की ओर से मदद की जाती है।

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