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पंजाब पुलिस के सबसे बड़े कारनामें से जुड़ा है सेक्स स्कैंडल मामला, जिसमें जालंधर से संबंधित पूर्व SSP सहित 4 पुलिसकर्मी हैं दोषी,

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एक हॉकी खिलाडी के सफर से बड़े पद से रिटायर हो चुके पूर्व SSP सहित 4 दोषियों को 7 अप्रैल को सुनाई जाएगी सजा,

PTB Big न्यूज़ चंडीगढ़ : 18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में आज (4 अप्रैल) को मोहाली स्थित सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाया जाना था, लेकिन अब फैसले को सोमवार यानि 7 अप्रैल 2025 तक टाल दिया गया है, हालांकि इस दौरान दोनों पक्षों की बहस हुई। मामले में चारों पुलिस अधिकारियों को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। आपको बता दें सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत ने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में

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पंजाब के चार पूर्व पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया था। 29 मार्च 2025 को विशेष न्यायाधीश-द्वितीय राकेश गुप्ता ने आरोपियों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का दोषी पाया था। दोषी ठहराए गए अधिकारियों में दविंदर सिंह गरचा (तत्कालीन मोगा के एसएसपी), परमदीप सिंह संधू (तत्कालीन मोगा के एसपी, मुख्यालय), तत्कालीन एसएचओ थाना सिटी मोगा रमन कुमार और तत्कालीन एसएचओ पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह शामिल थे।

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अदालत ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया था। इसी तरह रमन कुमार और अमरजीत सिंह को पीसी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 (जबरन वसूली) के समान प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया है। अमरजीत सिंह को धारा 384 के साथ धारा 511 IPC के तहत भी दोषी ठहराया गया, हालांकि केस में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

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अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिर्फ उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।। मुकदमे की पैरवी CBI के सरकारी वकील अनमोल नारंग ने की थी। अदालत ने सजा सुनाने के लिए 4 अप्रैल की तारीख तय की थी। आपको बता दें कि यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंग रेप का मामला दर्ज किया था।

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इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने केस में खेल किया। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए, हालांकि इस दौरान एक नेता ने पुलिस के पैसे मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। इससे यह मामला सुर्खियों में आ गया। जब इस मामले में राजनेताओं और व्यापारियों के नाम आने लगे, मीडिया में यह केस सुर्खियां बनने लगा तो 12 नवंबर 2007 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने

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इस मामले का खुद ही संज्ञान लिया। साथ ही पुलिस से इस मामले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद सारे केस की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने मामला CBI को सौंप दिया था। उस समय अदालत ने टिप्पणी की थी कि यह केस जम्मू सेक्स स्कैंडल से कम नहीं लगता है। इस मामले में पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से दो महिलाएं भोले-भाले व्यापारियों और कारोबारियों को फंसाती थीं। उनसे मोटी रकम वसूलती थीं। बाद में जांच में उन्हें क्लीनचिट दे जाती थी।

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मामले की जांच आगे बढ़ी तो कुछ पुलिस अफसरों को सीबीआई (CBI) ने गिरफ्तार भी किया, हालांकि अकाली नेता बरजिंदर सिंह मक्खन बराड़, अकाली दल के जिला अध्यक्ष अमरजीत सिंह गिल को बरी कर दिया था। इस मामले में मनप्रीत कौर नाम की एक महिला को सरकारी गवाह बनाया गया, हालांकि बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित किया। इस वजह से उसके खिलाफ मोहाली अदालत में अलग से कार्रवाई शुरू हुई।

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इसके अलावा आरोपी रणबीर सिंह उर्फ रानू और करमजीत सिंह भी सरकारी गवाह बन गए और अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर गवाही दी। एक अन्य आरोपी मंजीत कौर की मुकदमे के दौरान मौत हो गई, इस कारण उसके खिलाफ कार्यवाही रोक दी गई। आपको यह भी बता दें कि मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में पंजाब के चार पूर्व पुलिस अधिकारियों में दोषी करार दिया गए पूर्व मोगा के एसएसपी दविंदर सिंह गरचा (Former Moga SSP Davinder Singh Garcha) जालंधर शहर से

संबंधित हैं। आपको यह भी बता दें कि गरचा एक हॉकी खिलाड़ी था। मॉस्को ओलंपिक में भी उसने भाग लिया था, जहां भारतीय खिलाड़ी ने स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले, कराची, पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के लिए शीर्ष स्कोरर भी रहा। गरचा ने तीन प्रमुख टूर्नामेंटों में भाग लेते हुए सभी गोलों में से कुल 19 गोल किए। जिसके बाद पंजाब सरकार ने गरचा को PPS से IPS बनाया। गरचा इस मोगा कांड के बाद लगातार सुर्ख़ियों में भी रहा और अब जालंधर स्थित घर में रह रहा था।

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