पीटीबी नई राजनीति पंच जालंधर (एडिटर-इन-चीफ) राणा हिमाचल : जालंधर से कांग्रेस पार्टी के सांसद संतोख चौधरी के निधन के बाद से ही अब लगातार जालंधर लोकसभा सीट को लेकर खाली पड़े स्थान को भरने के लिए सभी पार्टियां उपचुनाव करवाना तो चाहती हैं, लेकिन इससे पहले सभी के लिए अपनी लाज बचाने का सवाल भी बना हुआ है।
माना तो यह भी जा रहा है की अगर यह उपचुनाव अभी होते हैं तो कोई भी उम्मीदवार इतने कम समय के लिए पानी की तरह पैसा प्रचार में नहीं बहाएगा। लेकिन अंदर ही अंदर हर उम्मीदवार उपचुनाव की घोषणा से पहले अपनी टिकट अंदर खाते पक्की करने और इस सीट पर विजय प्राप्त करने के काफी उत्सुक है। ऐसे में मौजूदा और विरोधी पार्टियों ने इस सीट के लिए अंदर खाते तैयारियां चाहे शुरू कर दी हों, लेकिन डर सभी को सत्ता रहा है, क्योंकि किसी के भी पास इस समय मजबूत दावेदार कोई खास नहीं है।
इससे पहले आपको यह भी बता दें कि अगर संसद संतोख चौधरी का भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अचानक हृदय गति रुकने से दुःखद निधन ना हुआ होता तो 2024 में ही लोकसभा चुनाव होने थे, लेकिन यह सीट अब संसद चौधरी के जाने के बाद खाली हो चुके हैं और सभी पार्टियों के लिए यह सीट जितने की मजबूरी भी बनी हुई है। अगर कांग्रेस पार्टी की बात करें तो इस सीट पर कांग्रेस पार्टी बड़ी जीत एक बार फिर से हासिल कर सकती है। अगर वह स्वर्गीय संतोख चौधरी की पत्नी को टिकट देकर मैदान में उतारती है, तो सहानुभूति के तौर पर ही उनको प्रचार में कम पैसा बहाये दोबारा से जीत हासिल हो सकती है, हालाँकि कांग्रेस के कई नेता इस सीट पर अपनी आँखें गढ़ाए बैठे हैं।
वहीं आम आदमीं पार्टी के पास अभी तक कोई भी इस सीट के लिए मजबूत दावेदार नहीं है और अकाली-भाजपा भी अभी तक कुछ खास विचार विमर्श नहीं कर पाए हैं। हालाँकि कई सभी पार्टियों के कई नेता अंदर खाते इस सीट के लिए दावेदार मजबूत करने और अपने सीनियर नेताओं के साथ मेल मिलाप बढ़ाने में लगे हुए हैं ताकि उनकी दावेदारी पक्की हो सके और वह इस सीट से चाहे कुछ समय के लिए संसद बन सकें।
वहीं जहां कांग्रेस के लिए मूंछ का सवाल यह सीट बनी हुई है वहीं ‘आप पार्टी’ के सत्ता में आने के बाद लोकसभा का पंजाब में यह दूसरा उपचुनाव है और जिस तरह से सत्ता में आने के तुरंत बाद संगरूर लोकसभा का उपचुनाव आप बुरी तरह से हारी थी, ऐसे में यह सीट जीतना उसके लिए बेहद अहम कड़ी बना हुआ है। ऐसे में ‘आप पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ-साथ सत्ता में बैठी आप सरकार को जनता के बीच में अपनी छवि बनाये रखने के लिए अभी तक किये कामों के साथ बेहतरीन प्रदर्शन करना होगा, नहीं तो उसका सीधा असर निगम चुनावों में भी आप पार्टी को पड़ेगा।
यही नहीं हैरानी की बात तो यह है कि जालंधर लोकसभा सीट के तहत आते 9 विधानसभा हलकों में से 5 पर कांग्रेस और 4 पर आप के विधायक हैं। इसलिए यह टक्कर आप और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत कठिन होगी। और इस टक्कर का फायदा उपचुनाव को घोषणा के बाद किसको मिलता है यह देखना काफी दिलचस्प होगा। वहीं भाजपा का बेशक जिले में काफी आधार है मगर पहली बार वह अकेले चुनाव इन उपचुनावों में लड़ने जा रही है और यह भी माना जा रहा है कि भाजपा किसी बाहरी को इस सीट के लिए टिकट दे सकती है। वहीं अकाली-बसपा गठबंधन की वजह से किसके खाते में यह सीट जाती है यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा।