PTB News

Latest news
जालंधर, पेड़ से लटका मिला युवक का शव, परिवार ने जताई हत्या की आशंका, दो दिन से घर से गायब था युवक, पंजाब, विजिलेंस विभाग के SSP को किया सस्पेंड, जांच में हुआ बड़ा खुलासा, PCM SD कॉलेज फॉर विमेन, जालंधर में विश्व पर्यावरण दिवस पर प्लास्टिक प्रदूषण पर NCC कैडेट्स द्वारा नु... ਲਾਇਲਪੁਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲਜ ਜਲੰਧਰ ਵਿਖੇ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੇ ਸਰਤਾਜ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿਹਾੜਾ, सेंट सोल्जर इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी अपने विद्यार्थियों के प्लेसमेंट और सफल प्रयोगो... इनोसेंट हार्ट्स ग्रुप ने युवा माइंड को हरियाली की ओर बढ़ने और हर दिन को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप म... ਲਾਇਲਪੁਰ ਖਾਲਸਾ ਕਾਲਜ ਵਿਖੇ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਵਿਸ਼ਵ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਿਵਸ 2025, बॉलीवुड अभिनेता डिनो मोरिया की बढ़ीं मुश्किलें, ED ने कई ठिकानों पर की छापेमारी; जानें क्या है मामला PM मोदी ने दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेल पुल का तिरंगा फहराकर किया उद्घाटन, अयोध्या : मंत्रोच्चारण के साथ राम दरबार की हुई प्राण प्रतिष्ठा, जय श्रीराम के जयकारों से गूंजा परिसर...
Translate

Sex work हैं legal, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, पुलिस के दखल पर भी लगाई रोक, शीर्ष कोर्ट ने मीडिया को भी दी नसीहत,

sc says prostitution legal police cant interfere take criminal action news hindi

PTB Big न्यूज़ नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े व अहम फैसले के तहत देश में वेश्यावृत्ति को वैध करार दिया है। उसने साफ शब्दों में कहा कि पुलिस इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती और न ही सहमति से यह कार्य करने वाले सेक्स वर्करों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है।

शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सेक्स वर्कर भी कानून के समक्ष सम्मान व बराबरी के हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह अहम फैसला दिया। पीठ ने सेक्स वर्करों के अधिकारों की रक्षा के लिए छह सूत्रीय दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने इन सिफारिशों पर सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई तय की है। केंद्र को इन पर जवाब देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि स्वैच्छिक वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है। केवल वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत दर्ज कराने वाली सेक्स वर्करों के साथ पुलिस भेदभाव न करे। यदि उसके खिलाफ किया गया अपराध यौन प्रकृति का हो तो तत्काल चिकित्सा और कानूनी मदद समेत हर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्करों के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है। ये ऐसे वर्ग के होते हैं, जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है, इसलिए उनके मामलों में संवदेनशील रवैया अपनाने की जरूरत है।

शीर्ष कोर्ट ने मीडिया को भी ऐसे मामलों में नसीहत देते हुए कहा कि पुलिस द्वारा गिरफ्तारी, छापेमारी और बचाव अभियान के दौरान सेक्स वर्करों की पहचान उजागर नहीं करना चाहिए। चाहे वह पीड़ित हों या आरोपी हों। ऐसी किसी तस्वीर को प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया जाए, जिससे उनकी पहचान का खुलासा हो। सेक्स वर्कर या यौनकर्मी कानून के तहत समान संरक्षण के पात्र हैं।

आपराधिक कानून सभी मामलों में उम्र और सहमति के आधार पर समान रूप से लागू होना चाहिए। जब यह स्पष्ट हो जाए कि यौनकर्मी वयस्क है और सहमति से इस पेशे में भाग ले रही है तो पुलिस को हस्तक्षेप या कार्रवाई से बचना चाहिए। देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है। सेक्स वर्करों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए और न ही दंडित किया जाना चाहिए। वेश्यालयों पर छापा मारते वक्त उनका उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।

सेक्स वर्कर के बच्चे को सिर्फ इस आधार पर मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए कि वह देह व्यापार में है। मानवीय शालीनता और गरिमा की बुनियादी सुरक्षा सेक्स वर्करों और उनके बच्चों के लिए भी है। यदि कोई नाबालिग बच्चा वेश्यालय में सेक्स वर्कर के साथ रहता या रहती है तो यह नहीं माना जाए कि वह तस्करी कर यहां लाया गया है।

Latest News