PTB Big न्यूज़ चंडीगढ़ : पंजाब शिक्षा बोर्ड या अन्य मान्यता प्राप्त बोर्ड के तय प्रावधान के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दाखिला देने से इन्कार करने वाले पंजाब के प्रमुख निजी स्कूलों की सालाना कमाई करोड़ों में है। स्कूल के सारे खर्चे वहन करने के बाद भी इन स्कूलों के पास एक करोड़ रुपये से अधिक बचत भी जाता है। बावजूद ये स्कूल उच्च न्यायालय में यह हवाला दे रहे हैं कि अगर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दाखिला दिया तो स्कूल का खर्च निकालना मुश्किल हो जाएगा।
. .ताजा मामला उस समय सामने आया जब पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर हाल ही में चंडीगढ़ के कुछ निजी स्कूलों ने अपनी बैलेंस शीट व संपत्ति की जानकारी दी। इसमें पता चला है कि शहर के प्रमुख निजी स्कूल जिनमें सेंट कबीर, सेंट सोल्जर और न्यू पब्लिक स्कूल आदि की सालाना सरप्लस कमाई एक करोड़ रुपये से भी अधिक है। तगड़ा मुनाफा कमाने के बावजूद ये निजी स्कूल हर साल फीस बढ़ा देते हैं, जिसका बोझ अभिभावकों की जेब पर पड़ता है।
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हैरत की बात तो यह है कि स्कूल बस से अधिक पैसे ऑडी और स्कोडा लॉरा जैसी गाड़ियों की खरीद पर खर्चे गए हैं। जानकारी के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2018-19 में जहां बच्चों की तिमाही फीस 15 हजार रुपये थी, वह अब बढ़कर 20 हजार के करीब हो गई है। ट्यूशन फीस के अलावा हॉबी क्लास की फीस हजारों रुपये में है। बच्चों से थिएटर, खेल समेत अन्य गतिविधियों के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं। गैर लाभकारी संस्था होने के बावजूद स्कूलों की बैलेंस शीट किसी व्यावसायिक कंपनी से कम नहीं लगती।
. .वहीं चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित सेंट कबीर स्कूल की सालाना आय 16 करोड़ 96 लाख 68 हजार 764 रुपये है। स्कूल के सभी खर्चे काटकर एक करोड़ 67 लाख 52 हजार 764 रुपये की राशि बचती है। स्कूल के पास 4 लाख 77 हजार 933 रुपये की दो बसें और 14 लाख 86 हजार 491 रुपये की एक कार है। वहीं, 27 करोड़ 09 लाख 52 हजार 18 रुपये की संचित राशि है।
.सेक्टर-28 स्थित सेंट सोल्जर इंटरनेशनल स्कूल की सालाना आय 12 करोड़ 29 लाख 78 हजार 894 रुपये है। सारे खर्चे काटकर एक करोड़ 70 लाख 79 हजार 889 रुपये की राशि बचती है। स्कूल ने 17 लाख 35 हजार 111 रुपये की ऑडी कार और 2 लाख 37 हजार 230 रुपये की स्कोडा लॉरा कार खरीद रखी है। दोनों कारों की कीमत बच्चों के लिए खरीदी गई बस से अधिक है। स्कूल के पास 13 करोड़ 12 लाख 23 हजार 825 रुपये का संचित फंड मौजूद है। यही हाल अन्य स्कूलों का भी है।
.पिछली सुनवाई पर प्रशासन ने सवाल उठाया था कि कैसे ट्रस्ट के नाम पर चल रहे स्कूल पैसों का दुरुपयोग कर रहे हैं। इस दौरान उच्च न्यायालय ने याचिककर्ता निजी स्कूलों को कहा था कि आपको अपने भीतर झांकने की जरूरत है। सेक्टर-18 स्थित न्यू पब्लिक स्कूल के पास 8 करोड़ 57 लाख 67 हजार 876 रुपये की संचित राशि है। स्कूल के पास सभी खर्चे काटने के बाद एक करोड़ 45 लाख 86 हजार 413 करोड़ रुपये की राशि शेष बचती है।
.यह आंकड़े 31 मार्च 2023 तक के हैं। स्कूल की सालाना आय सात करोड़ 71 लाख है, जिसमें से 35 प्रतिशत अर्थात ढाई करोड़ शिक्षकों की तनख्वाह पर खर्च किया जा रहा है। वहीं, सेक्टर-32 स्थित सौपिंस स्कूल की सालाना आय 14 करोड़ 94 लाख 78 हजार 367 रुपये है, जिसमें से 90 लाख 10 हजार 809 रुपये हर साल बच जाते हैं। दाखिला और आवेदन शुल्क को छोड़कर स्कूल को ट्यूशन फीस के रूप में 14 करोड़ 36 लाख 74 हजार 464 रुपये मिलते हैं। वहीं, स्कूल के पास आठ करोड़ की अचल संपत्ति है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो आने वाले समय में ऐसे बहुत से अन्य स्कूलों का ब्यौरा भी माँगा जा सकता है।
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