PTB Big न्यूज़ फरीदकोट : पंजाब के फरीदकोट जिले के बहुचर्चित बाबा दयालदास हत्याकांड में लाखों रुपए की रिश्वत मांगने वाले एसपी-डीएसपी, SI और महंत की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई है। एडिशनल सेशन व डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने से SP गगनेश, DSP सुशील कुमार, SI खेमचंद्र पराशर व डेरा गउशाला बीड़ सिक्खावाले के महंत मलकीत दास की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
2 जून 2023 को बाबा हरका दास डेरा प्रमुख बाबा गगनदास ने कोटकपूरा सदर थाने में शिकायत दी थी। विजिलेंस की सिफारिश और जांच के बाद फरीदकोट के तत्कालीन SP गगनेश कुमार, तत्कालीन DSP सुशील कुमार, IG दफ्तर में कार्यरत रहे SI खेमचंद्र पराशर, महंत मलकीत दास व जसविंदर सिंह ठेकेदार को नामजद किया गया था। इसमें जसविंदर सिंह ठेकेदार को छोड़कर सभी आरोपियों द्वारा अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी।
आपको यह भी बता दें की 7 नवंबर 2019 को गोशाला कोटसुखिया के संत बाबा दयालदास की हत्या हुई थी। मामले में पुलिस द्वारा मोगा निवासी जरनैल सिंह समेत 3 लोगों को आरोपी बनाया गया था, परंतु जरनैल सिंह को पकड़ा नहीं जा सका। जरनैल सिंह द्वारा खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए अर्जी लगाई गई। जिस पर तत्कालीन DIG फरीदकोट के नेतृत्व में SIT का गठन किया गया, जिसने अपनी जांच में जरनैल सिंह को बाहर कर दिया।
इसके बाद जब पुलिस ने चालान पेश किया तो बाबा गगनदास ने कोर्ट में पेश होकर हत्या का मुख्य आरोपी जरनैल सिंह को बताया। इसके बाद अदालत ने जरनैल सिंह को तलब किया और फिर जरनैल सिंह जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंच गया, जिस पर हाईकोर्ट ने पाया कि जो कत्ल का मुख्य आरोपी है, उसे SIT ने बेगुनाह कैसे जांच में पाया। जिसके बाद हाईकोर्ट द्वारा मौजूदा IG फरीदकोट को SIT का गठन कर जांच के आदेश दिए गए।
SIT की जांच में खुलासा हुआ कि जरनैल सिंह को हत्या के मुकदमे से बाहर करने के लिए एक करोड़ रुपए रिश्वत ली गई। अब SIT को हाईकोर्ट में एक हलफिया बयान देना था कि जरनैल सिंह को आरोपी रखा जाए या नहीं। इसके लिए SIT के सदस्यों ने बाबा गगनदास से संपर्क कर कहा कि यदि जरनैल सिंह को मुकदमे में शामिल करना है तो IG को 50 लाख रुपए रिश्वत देनी होगी। 35 लाख रुपए में सौदा तय हुआ था, इसमें से उक्त आरोपियों द्वारा 20 लाख रुपए IG फरीदकोट के नाम पर लिए गए थे, लेकिन इसकी भनक IG को लग गई। उन्होंने तुरंत जांच रोककर मामला विजिलेंस के ध्यान में लाए।