PTB Big Breaking न्यूज़ दिल्ली : एक तरफ जहां पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर खोलने के बाद भाजपा अपना बड़ा चुनावी मास्टर स्ट्रोक मान रही थीं वहीं आज सुबह के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के विरोध की वजह बने तीनों कृषि सुधार कानून रद्द करने की घोषणा से BJP नेताओं को अपने पाले की सीटों को 2022 के चुनावों में जीतने की कुछ उम्मीद जगी है /
आपको यह भी बता दें कि पंजाब में साढ़े 3 महीने बाद होने वाले 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले केंद का यह फैसला भाजपा नेताओं के लिए मीठा फल देने क समान है / अहम यह भी है कि पीएम मोदी ने फैसले के लिए गुरु पर्व का दिन चुना, जिस वक्त पूरा सिख समाज पहले पातशाही गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की खुशियां मना रहा था, उसी बीच यह ऐलान होने से भाजपा ने सिख समाज से भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश की है, इस फैसले से कैसे होगा बीजेपी का फायदा,
पहला तो यह कि पंजाब में भाजपा के लिए कृषि कानूनों की वजह से रास्ता मुश्किल हो गया था / करीब 14 महीने से किसान इनका विरोध कर रहे थे / पंजाब में भाजपा के नेताओं को प्रचार तो दूर, कोई मीटिंग तक नहीं करने दी जा रही थी / ऐसे में यह जरूरी था कि कानून रद्द हों, क्योंकि इसके बगैर भाजपा को बड़ा सियासी नुकसान होना तय था, जिसका इंपैक्ट देश के दूसरे राज्यों के चुनाव में भी होना था / अब भाजपा के लिए राह आसान हो सकती है / खासकर, इसलिए भी कि पंजाब में भाजपा अकेले चुनावी मैदान में उतर रही है / वहीं 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब चुनाव के फैसले से कोई विरोधी संदेश निकल सकता था /
वहीं दूसरी बात यह कि पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीटें हैं / इनमें से 40 अर्बन, 51 सेमी अर्बन और 26 रूरल सीट हैं / रूरल के साथ सेमी अर्बन विधानसभा सीटों पर किसानों का वोट बैंक हार-जीत का फैसला करता है / ऐसे में पंजाब चुनाव से पहले भाजपा के लिए कानून वापस करना फायदेमंद साबित हो सकता है /
तीसरी बड़ी बात यह कि पंजाब मालवा, माझा और दोआबा एरिया में बंटा हुआ है / सबसे ज्यादा 69 सीटें मालवा में हैं / मालवा में ज्यादातर रूरल सीटें हैं, जहां किसानों का दबदबा है / यही इलाका पंजाब की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है / 23 सीट वाले दोआबा में ज्यादातर दलित असर वाली सीटें हैं / 25 सीटों वाले माझा में सिख बहुल सीटें हैं / गुरुपर्व पर लिए गए फैसले से भाजपा के आगे सिखों से भावनात्मक रूप से जुड़ने की राह खुलेगी / ये वोट पाले में आए तो भाजपा के लिए प्स पॉइंट होगा /
वहीं पंजाब की इकोनॉमी एग्रीकल्चर पर आधारित है / खेती होती है तो उससे न केवल बाजार चलता है, बल्कि ज्यादातर इंडस्ट्रीज भी ट्रैक्टर से लेकर खेतीबाड़ी का सामान बनाती हैं / पंजाब में 75% लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर खेती से जुड़े हैं / प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े लोगों की बात करें तो इसमें किसान, उनके खेतों में काम करने वाले मजदूर, उनसे फसल खरीदने वाले आढ़ती और खाद-कीटनाशक के व्यापारी शामिल हैं /
इनके साथ ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री भी जुड़ जाती है / आढ़तियों से फसल खरीदकर आगे सप्लाई करने वाले ट्रेडर्स और एजेंसियां भी खेती से ही जुड़ी हुई हैं / अगले फेज में शहर से लेकर गांव के दुकानदार भी किसानों से ही जुड़े हैं / फसल अच्छी होती है, तो फिर किसान खर्च भी करता है / इसके जरिए कई छोटे कारोबार भी चलते रहते हैं / अब देखना बहुत ही दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में भाजपा 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले किस उम्मीदवार को पंजाब के मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश करती है और कृषि कानून बिल रद्द होने से बीजेपी के नेताओं को कितना फायदा मिलता है /