PTB Big न्यूज़ चंडीगढ़ : पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर चल रहे राज्यभर के PCS अधिकारियों को अचानक भगवंत मान द्वारा दिए गए सख्त आदेशों के बाद वापिस ड्यूटी पर लौटना वह भी करीब-करीब आधे दिन के बाद बुसोशल मीडिया पर इस साहसिक फैसले के हर तरफ चर्चे हो रहे हैं /
ऐसे में हर कोई पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस सराहनीय फैसले की तारीफों के पल बांध रहा है / आपको बता दें की मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने ट्विटर हैंडल के साथ अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अधिकारियों को जारी की गई चिट्ठी पोस्ट की, यूजर्स की प्रक्रिया भी मुख्यमंत्री के पक्ष में आनी शुरू हो गई / लोग आज CM मान के पक्ष में खुलकर कमैंट लिख रहे थे /
मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों को दी गई चेतावनी को लोग मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं / ट्विटर और फेसबुक पर लोगों ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्ती करने और उनकी नकेल कसने की बात भी कही/ फेसबुक और ट्विटर यूजर्स ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले की तारीफ करते हुए भविष्य में भी ऐसे फैसले लेने और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही /
इस दौरान कुछ में से एक यूजर ने लिखा की भगवंत मान यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण समय है और इम्तिहान की घड़ी जैसा था / अगर यहां आप ढीले पड़ गए तो आम आदमी पार्टी हाशिए पर चली जाती / अगर सिविल सर्विस रूल में कोई तबदीली करनी है तो वह भी कर दी जानी चाहिए / वहीं एक ने लिखा की PCS एसोसिएशन की अचानक हड़ताल से आम जनता जिनके ज्यादातर काम जिलाधीश कार्यालयों में होते हैं बहुत परेशान थे की अब कब ऑफिस खुलेंगे और कब हमारे काम होंगे /
ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर PCS असोसिएशन से जुड़े ज्यादातर वर्किंग अधिकारी जो बीते दिन दोपहर बाद काम पर अचानक लोट आये क्या वह मुख्यमंत्री भगवंत मान के सख्त आदेश के बाद क्या डर गए या फिर अपनी नौकरी बचाने के लिए मजबूरन ऑफिस आये या फिर इसके बाद कोई बड़ा कदम उठाने की प्लानिंग में हैं / लेकिन अगर PCS अधिकारी CM मान के इस निर्णय से डर गए तो
क्या अन्य विभागों जिनमने ज्यादातर अधिकारी अपनी ड्यूटी या तो देना ही नहीं चाहते या फिर लापरवाही के साथ काम कर रहे हैं के खिलाफ भी मान सरकार को सख्त कदम नहीं उठाना चाहिए / क्योंकि ज्यादातर सरकारी विभागों में आम जनता एक बार नहीं बल्कि बार-बार अपने एक ही काम के लिए हजारों चक्कर अधिकारीयों के पास मारती है और उनके काम को शिखर तक पहुंचने को कोई अधिकारी तैयार नहीं है और इसका हर्जाना मौजूदा सरकारों को आगामी चुनावों में उठाना पड़ता है /