पीटीबी न्यूज़ चंडीगढ़ : पंजाब की आबकारी नीति भी संदेह के घेरे में आ गई है। विपक्ष का आरोप है कि पंजाब में पिछले वर्ष एक जुलाई से जो शराब नीति लागू की गई थी, वह भी दिल्ली की तर्ज पर ही बनाई गई थी। सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अब पंजाब सरकार ने सोमवार को ही अपनी वेबसाइट से लाइसेंस के नवीनीकरण (रिन्यूअल) का फॉर्म हटा लिया है।
इसके प्रपत्रों में लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए शर्तों का कोई उल्लेख नहीं था। अब विपक्ष और आक्रामक हो गया है और नए सिरे से पूरी नीति की जांच की मांग कर रहा है। भाजपा नेता व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को एक शिकायत भेजी थी।
आरोप है कि पंजाब में दिल्ली की उन दो कंपनियों को सुपर एल-1 लाइसेंस दिए गए, जो दिल्ली में शराब का कारोबार कर रही थीं। यह लाइसेंस इन्हीं कंपनियों को दिया जाए, इसके लिए नियम भी उसी हिसाब से बनाए गए। शिकायत के अनुसार दो बड़े अधिकारियों ने फाइल पर आपत्ति लगाई, तो उनका तबादला कर दिया। उन्हें ट्रेनिंग पर भेजकर नए अधिकारियों से इसे मंजूर करवाया गया।
शिकायत के अनुसार, अभी तक पंजाब में ठेकेदार एल-1 लाइसेंस से शराब की खरीद करते आ रहे हैं, लेकिन पिछले वर्ष दो बड़ी कंपनियों को सुपर एल-1 लाइसेंस दिया गया। सारे एल-1 लाइसेंस धारक ठेकेदारों को इनके अधीन कर दिया गया। सवाल उठने का एक बड़ा कारण यह भी है कि उत्तर प्रदेश में जिस कंपनी के लाइसेंस रद्द हैं, उसे ही पंजाब में शराब बिक्री का ठेका दे दिया गया। इन दो कंपनियों को शराब बिक्री में 10 प्रतिशत के करीब मुनाफा मिलता है।
दिल्ली में शराब के एल-1 लाइसेंस ब्रैडको व अनंत वाइन्स के पास थे। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि 30 मई-22 को सिसोदिया ने दिल्ली में सरकारी कोठी में बैठक बुलाई थी, जिसमें पंजाब के आबकारी मंत्री और अधिकारी भी पहुंचे थे। ईडी को दी गई शिकायत के अनुसार थोक कारोबार का काम सिर्फ दो ही कंपनियों को मिले, इसके लिए सारा खाका व नियम भी उसी हिसाब से तैयार किए गए। इससे ब्रैडको व अनंत वाइन्स का पंजाब के शराब कारोबार में कब्जा हो गया।